विष्णु के चौथे अवतार नृसिंह और उनका महत्व
भगवान विष्णु के दस अवतारों में चौथा अवतार नृसिंह (नर-सिंह) है, जो आधा मनुष्य और आधा सिंह का रूप धारण करके प्रकट हुए। यह अवतार भक्त प्रह्लाद की रक्षा और दैत्यराज हिरण्यकशिपु के वध के लिए लिया गया था। नृसिंह अवतार की कथा न केवल भक्ति की शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का प्रतीक भी है।
नृसिंह अवतार की कथा
हिरण्यकशिपु एक तपस्वी दैत्यराज था, जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि वह न तो मनुष्य, न पशु, न दिन, न रात, न पृथ्वी, न आकाश, न अस्त्र, न शस्त्र से मारा जा सके। इस वरदान के अहंकार में उसने स्वयं को ईश्वर समझ लिया और प्रजा को अपनी पूजा करने के लिए बाध्य किया। किंतु, उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, पर विष्णु की कृपा से वह हर बार बच गया। अंत में, हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा—”क्या तेरा भगवान इस खंभे में भी है?” और खंभे को तोड़ने का प्रयास किया। उसी क्षण, भगवान विष्णु नृसिंह के रूप में प्रकट हुए—न तो पूर्ण मनुष्य, न पूर्ण सिंह; संध्या के समय (न दिन, न रात); उन्होंने हिरण्यकशिपु को अपनी गोद में लेकर (न पृथ्वी, न आकाश) और नाखूनों से (न अस्त्र, न शस्त्र) उसका वध कर दिया।
नृसिंह अवतार का महत्व
यह अवतार इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर किसी भी नियम से बंधे नहीं हैं और वे भक्त की रक्षा के लिए किसी भी रूप में आ सकते हैं। नृसिंह की कथा हमें सिखाती है कि:
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अहंकार का विनाश – हिरण्यकशिपु का अहंकार ही उसके पतन का कारण बना। यह संदेश देता है कि घमंड मनुष्य को नष्ट कर देता है।
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भक्ति की शक्ति – प्रह्लाद की अटूट भक्ति के कारण भगवान ने उसे बचाया। इससे सीख मिलती है कि सच्ची श्रद्धा और विश्वास से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
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धर्म की स्थापना – नृसिंह अवतार दर्शाता है कि अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में धर्म की ही जीत होती है।
नृसिंह अवतार से प्रेरणा
आज के समय में भी नृसिंह की कथा प्रासंगिक है। यह हमें सिखाती है कि:
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अन्याय के विरुद्ध खड़े होना – जब भी अधर्म बढ़े, हमें धर्म के मार्ग पर चलकर उसका विरोध करना चाहिए।
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विश्वास और धैर्य – प्रह्लाद ने कठिन परिस्थितियों में भी विष्णु पर विश्वास नहीं छोड़ा। इसी तरह, हमें भी मुश्किलों में धैर्य रखना चाहिए।
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अहंकार से बचना – हिरण्यकशिपु की तरह अहंकारी न बनें, बल्कि विनम्रता और सेवाभाव से जीवन जिएं।
निष्कर्ष
नृसिंह अवतार भगवान विष्णु की लीला का एक अद्भुत रूप है, जो हमें धर्म, न्याय और भक्ति का संदेश देता है। यह कथा हमें याद दिलाती है कि ईश्वर हर युग में अधर्म का नाश करके धर्म की रक्षा करते हैं। हमें भी अपने जीवन में सत्य, न्याय और भक्ति के मार्ग पर चलकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करनी चाहिए।