भगवान विष्णु का नौवाँ अवतार: बुद्ध अवतार
भगवान विष्णु के दशावतारों में नौवाँ अवतार भगवान बुद्ध का है, जो करुणा, अहिंसा और मध्यम मार्ग के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह अवतार कलियुग के प्रारंभिक काल में हिंसक यज्ञों और पशुबलि की कुप्रथाओं को समाप्त करने तथा मानवता को ज्ञान का मार्ग दिखाने के लिए प्रकट हुआ था। बुद्ध ने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप को, बल्कि पूरे विश्व को अहिंसा और करुणा का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएँ आज भी लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को प्रकाशित कर रही हैं।
बुद्ध अवतार का कारण: हिंसक कर्मकांडों का विरोध
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग के प्रारंभ में वैदिक यज्ञों में पशुबलि की प्रथा अत्यधिक बढ़ गई थी। कुछ स्वार्थी लोगों ने धर्म के नाम पर निरीह पशुओं की हत्या करना शुरू कर दिया था। जब भगवान विष्णु ने देखा कि ये कर्मकांड वास्तविक धर्म से भटक गए हैं, तब उन्होंने सिद्धार्थ गौतम के रूप में अवतार लेने का निर्णय लिया। बुद्ध ने अहिंसा का संदेश देकर इन कुप्रथाओं का विरोध किया और मध्यम मार्ग का उपदेश दिया। इस प्रकार उन्होंने धर्म को पुनः उसके मूल स्वरूप में लौटाने का प्रयास किया।
बुद्ध अवतार ने क्या किया?
-
ज्ञान प्राप्ति और बोधगया में निर्वाण
राजपाट त्यागकर सिद्धार्थ ने 6 वर्षों तक कठोर तपस्या की और अंततः बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे निर्वाण (ज्ञान) प्राप्त किया। इसके बाद वे “बुद्ध” (जागृत व्यक्ति) कहलाए। -
धर्मचक्र प्रवर्तन
सारनाथ में अपने पहले उपदेश में उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया, जो बौद्ध धर्म का आधार बना। -
सम्राट अशोक का परिवर्तन
कलिंग युद्ध के भीषण रक्तपात के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और अहिंसा का संदेश पूरे एशिया में फैलाया। -
संघ की स्थापना
उन्होंने भिक्षु संघ की स्थापना की, जिसने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। -
विभिन्न सामाजिक वर्गों को एकता का संदेश
उन्होंने जाति व्यवस्था की निंदा की और सभी वर्गों के लोगों को अपना शिष्य बनाया।
बुद्ध अवतार से मिलने वाली सहायता
-
मानसिक शांति का मार्ग
बुद्ध ने मनुष्य को दुःख से मुक्ति का मार्ग दिखाया। उनकी शिक्षाएँ तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। -
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
उन्होंने अंधविश्वासों का विरोध किया और कारण-परिणाम (प्रतीत्यसमुत्पाद) के सिद्धांत पर बल दिया। -
सामाजिक समानता
बुद्ध ने सभी मनुष्यों की समानता पर जोर देकर समाज सुधार में योगदान दिया। -
विश्व शांति का संदेश
उनका अहिंसा और करुणा का दर्शन आज भी विश्व शांति के लिए प्रेरणादायक है। -
ध्यान की पद्धतियाँ
विपश्यना जैसी ध्यान पद्धतियों ने लाखों लोगों को आंतरिक शांति प्रदान की है।
बुद्ध अवतार से प्राप्त शिक्षाएँ
-
चार आर्य सत्य
-
दुःख है
-
दुःख का कारण है
-
दुःख का निरोध संभव है
-
निरोध का मार्ग है (अष्टांगिक मार्ग)
-
-
मध्यम मार्ग
न तो अत्यंत भोगवाद, न ही कठोर तपस्या – बल्कि संतुलित जीवन जीने का सिद्धांत। -
अहिंसा पर बल
“सभी प्राणी डरते हैं मृत्यु से, सभी को जीवन प्रिय है” – इसलिए किसी को भी हानि न पहुँचाएँ। -
वर्तमान में जीना
अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान में जीने का संदेश। -
आत्मनिर्भरता
“अप्प दीपो भव” – अपना दीपक स्वयं बनो। ईश्वर पर निर्भरता के बजाय स्वयं के प्रयास पर बल।
निष्कर्ष: आधुनिक युग में बुद्ध की प्रासंगिकता
आज के तनावपूर्ण और हिंसक युग में बुद्ध की शिक्षाएँ पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उनका “मैत्री और करुणा” का संदेश आतंकवाद और हिंसा से जूझ रहे विश्व के लिए मार्गदर्शक है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस युग में बुद्ध का तर्कसंगत दृष्टिकोण मानवता को संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।