Surya Namaskar के लाभ और मंत्र

सूर्य नमस्कार (Surya namaskar) शारीरिक गति को सांस लेने और मंत्रोच्चार के साथ जोड़ता है, जिससे एक ऐसा व्यायाम बनता है जो कई लाभ प्रदान करता है। प्रत्येक मुद्रा के साथ जपे जाने वाले बारह मंत्र अभ्यास को गहरा करते हैं और आध्यात्मिक और मानसिक ध्यान को जोड़ते हैं। यहाँ सूर्य नमस्कार के विशिष्ट लाभों और प्रत्येक मुद्रा के लिए संगत मंत्र पर एक नज़र डाली गई

1. प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा) – Pranamasana (Prayer Pose)

मंत्र: ओम मित्राय नमः

– सभी के मित्र को प्रणाम।

– सूर्य को एक सार्वभौमिक मित्र के रूप में दर्शाता है, जो दूसरों के प्रति मित्रता और दया का प्रतीक है।

लाभ: मन को शांत करता है और संतुलन और ध्यान की भावना पैदा करता है, जो अनुक्रम के लिए तैयारी करता है।

2. हस्त उत्तानासन (उठे हुए हाथ मुद्रा) – Hasta Uttanasana (Raised Arms Pose)
मंत्र: ओम रवये नमः

– चमकते हुए को प्रणाम।

– सूर्य की चमक और चमक का सम्मान करता है जो पृथ्वी पर जीवन को रोशन और बनाए रखता है।

लाभ: पेट की मांसपेशियों को खींचता और टोन करता है, फेफड़ों को फैलाता है, और पाचन में सुधार करता है।

3. पादहस्तासन (हाथ से पैर की मुद्रा) – Padahastasana (Hand to Foot Pose)
मंत्र: ओम सूर्याय नमः

– गतिविधि को प्रेरित करने वाले को प्रणाम।

– जीवन में सूर्य की ऊर्जा, प्रेरक क्रिया, गतिशीलता और प्रेरणा का प्रतीक है।

लाभ: पाचन को उत्तेजित करता है, मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, और हैमस्ट्रिंग को फैलाता है।

4. अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा) – Ashwa Sanchalanasana (Equestrian Pose)
मंत्र: ओम भनवे नमः

– प्रकाश देने वाले को नमस्कार।

– सूर्य को प्रकाश के स्रोत के रूप में दर्शाता है, जो अज्ञानता को दूर करता है और स्पष्टता लाता है।

लाभ: पैरों को मजबूत करता है और हिप फ्लेक्सर्स को फैलाता है, जिससे समग्र लचीलापन बेहतर होता है।

5. दंडासन (स्टिक पोज़) – Dandasana (Stick Pose)
मंत्र: ओम खगया नमः

– आकाश में तेजी से चलने वाले को नमस्कार।

– सूर्य की आकाश में यात्रा करने की क्षमता का सम्मान करता है, जो स्वतंत्रता और उत्कृष्टता का प्रतीक है।

लाभ: हाथ और कंधे की ताकत बढ़ाता है, मुद्रा में सुधार करता है, और कोर की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

 

6. अष्टांग नमस्कार (आठ अंगों से नमस्कार) – Ashtanga Namaskara (Salute with Eight Parts)
मंत्र: ओम पुष्णे नमः

– शक्ति और पोषण देने वाले को नमस्कार।

– सूर्य के पोषण करने वाले पहलू का प्रतिनिधित्व करता है, जो पृथ्वी पर जीवन और विकास को बनाए रखता है।

लाभ: शरीर के सभी अंगों को सक्रिय करता है और छाती और कोर को मजबूत करता है, जिससे शरीर का समन्वय बढ़ता है।

 

7. भुजंगासन (कोबरा मुद्रा) – Bhujangasana (Cobra Pose)

मंत्र: ओम हिरण्यगर्भाय नमः

– स्वर्णिम ब्रह्मांडीय स्व को प्रणाम।

– यह मंत्र सूर्य की अवधारणा को सृष्टि के एक सार्वभौमिक, दिव्य बीज के रूप में दर्शाता है।

लाभ: पीठ को मजबूत करता है, छाती और फेफड़ों को खोलता है, और रीढ़ की हड्डी की लचीलापन बढ़ाता है।

 

8. अधो मुख श्वानासन (नीचे की ओर मुख वाला कुत्ता मुद्रा) – Adho Mukha Svanasana (Downward Facing Dog Pose)

मंत्र: ओम मरीचाय नमः

– भोर के देवता को प्रणाम।

– प्रकाश लाने की सूर्य की शक्ति का प्रतीक है, क्योंकि यह अंधकार को दूर करता है और नई शुरुआत लाता है।

लाभ: पूरे शरीर को खींचता है, रक्त संचार को बेहतर बनाता है, मन को शांत करता है, और हाथ और पैरों को मजबूत करता है।

9. अश्व संचालनासन (घुड़सवारी मुद्रा) – Ashwa Sanchalanasana (Equestrian Pose)

मंत्र: ओम आदित्याय नमः

– अदिति (ब्रह्मांडीय मां) के पुत्र को प्रणाम।

– अनंत चेतना से उत्पन्न ब्रह्मांडीय देवता के रूप में सूर्य की भूमिका को स्वीकार करता है।

लाभ: संतुलन बढ़ाता है, हिप फ्लेक्सर्स को खींचता है, और कोर स्थिरता को सक्रिय करता है।

10. पादहस्तासन (हाथ से पैर की मुद्रा) – Padahastasana (Hand to Foot Pose)
मंत्र: ओम सवित्रे नमः

– जीवन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को प्रणाम।
– सभी प्राणियों को जीवन ऊर्जा प्रदान करने वाले, निर्माता और पालनकर्ता के रूप में सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है।

लाभ: मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को उत्तेजित करता है, पेट के अंगों को टोन करता है, और रीढ़ को फैलाता है।

 

11. हस्त उत्तानासन (उठे हुए हाथ की मुद्रा) – Hasta Uttanasana (Raised Arms Pose)
मंत्र: ओम अर्काय नमः

– प्रशंसा के योग्य व्यक्ति को प्रणाम।

– सूर्य की चमक, आभा और सर्वव्यापकता के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है।

लाभ: छाती को खोलता है, पीठ को फैलाता है, फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है, और ऊर्जा को बढ़ाता है।

12. ताड़ासन (पर्वत मुद्रा) – Tadasana (Mountain Pose)मंत्र: ओम भास्कराय नमः

– ज्ञान की ओर ले जाने वाले व्यक्ति को प्रणाम।

– ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक जागृति लाने वाले ज्ञान के मार्गदर्शक के रूप में सूर्य का सम्मान करें।
लाभ: शरीर को स्थिर करता है, मुद्रा में सुधार करता है, तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, और अभ्यास को पूरा करता है।

सूर्य नमस्कार के अतिरिक्त लाभ:
शारीरिक स्वास्थ्य: लचीलापन बढ़ाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है, वजन प्रबंधन में सहायता करता है, और पाचन में सुधार करता है।
मानसिक स्वास्थ्य: तनाव कम करता है, ध्यान को तेज करता है, और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है।
आध्यात्मिक कल्याण: कृतज्ञता विकसित करता है, आत्म-जागरूकता बढ़ाता है, और अभ्यासकर्ता को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जोड़ता है।

अभ्यास के दौरान प्रत्येक मंत्र का जाप मन और शरीर को संरेखित करता है, भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में लाभ प्रदान करता है, और सूर्य नमस्कार की ध्यानात्मक गुणवत्ता को बढ़ाता है।

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